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श्री जंगली साहनी साथ में बेटा सत्येन्द्र साहनी |
मेरा नाम सत्येन्द्र
साहनी, मेरे पिता जी
श्री जंगली साहनी (उम्र ५० वर्ष), हम लोग कुशीनगर (उ.प्र.) के रहने वाले हैं। मेरे पिता जी एक सामान्य किसान
हैं।
मेरे पिता जी को ५-६ माह पहले बुखार आने लगा, मैं उन्हें बिहार लेकर गया, वहाँ पर डॉक्टर को दिखाया, ४-५ दिन दवायें खायीं पर कोई आराम नहीं हुआ, फिर मैं उन्हें पड़रौना के कमलावती नर्सिंग होम ले गया, वहाँ पर सारी जाँचें हुयीं, जाँच आने के बाद बताया गया कि मेरे पिता जी को किडनी की समस्या है, उनकी हालत बहुत खराब है, जैसा वहाँ बताया गया वही मान लिया।
उन्होंने कमलावती नर्सिंग होम गोरखपुर के गोरखनाथ हॉस्पिटल के लिए रिफर कर दिया, मैं घबराकर दूसरे दिन ही गोरखनाथ हॉस्पिटल पहुँचा, वहाँ पर भी फिर से कुछ जाँचें करवायी गयीं और उस समय मेरे पिता जी की हालत बहुत खराब होने के कारण उन्हें १५ दिनों तक आईसीयू में भर्ती रखा गया और १५ डायलेसिस हुयीं, २९ सितम्बर २०२० गोरखपुर की जाँच करवाने पर हेमोग्लोबिन १०.६, क्रिटनीन ७.३, यूरिया १८७.९ आया। फिर डायलेसिस होने के बाद ४ अक्टूबर २०२० को पुन: जाँच करवाई गयी तो उसमें हेमोग्लोबिन १०.१, क्रिटनीन ७.५, यूरिया १०९.५, यूरिक एसिड ७.८ आया।
मैं बहुत
परेशान था, मेरे पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मैं पूरी जिन्दगी अपने
पिता जी की डायलेसिस करवा पाता और मेरे पिता जी भी घर के लिए जिद करने लगे कि मैं
चाहे मरू, चाहे जो हो, मुझे घर ले चलो। मैं अपने को डिस्चार्ज करवाकर और दवायें
लेकर घर आ गया। मेरे पिता जी की दिन प्रति दिन हालत बिगड़ती ही जा रही थी, मेरे पिता जी ५-६ माह बीमार होने के पहले बिल्कुल पहलवान की
तरह थे, खूब काम करते
थे।
तभी मेरे ही
गाँव के एक व्यक्ति जो अपना इलाज करवाकर पूरी तरह स्वस्थ हैं के द्वारा आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला। मैं ११ नवम्बर २०२० को आयुष ग्राम चित्रकूट अपने पिता जी को लेकर
पहुँचा, वहाँ पर पूरी
जाँच हुयीं फिर ओपीडी-२ में डॉक्टर
वाजपेयी जी के पास भेजा गया, उन्होंने सारी बातें पूछीं और अपनी आर्थिक स्थिति भी बताई, उन्होंने कहा कि आप बिल्कुल परेशान न हों मैं आपके पिता जी
को डायलेसिस छुड़वाने का प्रयास करता हूँ।
उन्होंने १५ दिनों के लिए
भर्ती कर लिया और दवायें व पंचकर्म शुरू कराया, मेरे पिता जी को जो ५-६ माह से बुखार नहीं खत्म हो रहा था
वह ८ दिनों में पूरी तरह चला गया, भूख भी अच्छी लगने लगी, अब खूब
चलने-फिरने लगे हैं, आयुष ग्राम
ट्रस्ट ने मेरे पिता जी को
डायलेसिस से बचा लिया और मेरे खेतों को बिकने से बचा लिया, मैं डॉक्टर वाजपेयी जी का बहुत आभारी हूँ। मैं ज्यादा
पढ़ा-लिखा नहीं हूँ लेकिन फिर भी यही कहूँगा कि अंग्रेजी डॉक्टर घर तक बिकवा डालते
हैं, अपने इलाज से
और मरीज को डायलेसिस कर-करके और अपनी दवाओं के साइड इफेक्ट से मार डालते हैं।
मैं और मेरा
पूरा परिवार बहुत खुश है कि मेरे पिता जी डायलेसिस से बच गये, बिना डायलेसिस के मेरे पिता जी यहाँ से बिल्कुल स्वस्थ हो
गये, बुखार जो
अंग्रेजी डॉक्टर ५-६ माह से छुड़वा नहीं पा रहे थे, वह यहाँ की चिकित्सा से सिर्फ ८ दिन में ही छूट गया।
आयुष ग्राम
ट्रस्ट में ११ नवम्बर २०२० को जाँच हुयी तो क्रिटनीन ६.७, यूरिया १२८, हेमोग्लोबिन ७.९, यूरिक एल्ब्यूमिन (±±) में आया। चिकित्सा चलती गयी, फिर १८ नवम्बर को जाँच करवाने पर हेमोग्लोबिन ८.१, क्रिटनीन ३.४, यूरिया ७६.४, यूरिन एल्ब्यूमिन (±) आ गया।
२४ नवम्बर
२०२० को जाँच करवायी तो उसमें क्रिटनीन ०.६४, यूरिया ८.५६, यूरिक एसिड ३.३, सोडियम १२९ आया। उन्होंने १ माह की दवायें लिखकर डिस्चार्ज
कर दिया।
मेरे पिता का जीवन बच गया, मैं तो कहता हूँ कि सभी मेरी बात को सब जगह पहुँचायें ताकि
मेरी तरह किडनी रोगी दूसरे भी लाभ उठा सकें।
सत्येन्द्र
साहनी पुत्र श्री जंगली
साहनी
ग्राम-
मनिकौरा,
थाना- पडरौना, जिला-
कुशीनगर (उ.प्र.)
७३७९५२३९४२
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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