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डॉ मदनगोपाल वाजपेयी |
चित्रकूट,09 दिसम्बर.
हड़ताल की स्थिति में आयुष चिकित्सक सेवाओं के लिए परिषद् (सीसीआईएम) के गजट नोटीफिकेशन द्वारा एम.एस. (आयुर्वेद) उपाधि धारकों को 58 तरह की सर्जरी की अनुमति मिलने के कारण भड़की आईएमए द्वारा आगामी 11 दिसम्बर को कोरोना उपचार को छोड़कर सभी प्रकार के चिकित्सीय कार्य ठप्प कर देने की चेतावनी पर आयुष मेडिकल एसोसिएशन (आयुष्मा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी ने देश के समस्त आयुष चिकित्सकों, आयुष संगठनों एवं आयुष मेडिकल कॉलेजों के आधीनस्थ अस्पतालों का आवाहन करते हुए कहा कि वे किसी भी आपात स्थिति में अपने-अपने स्तर पर स्वास्थ्य सेवा के लिए तैयार रहें।
उन्होंने आगे कहा कि उक्त नोटीफिकेशन का न तो आईएमए से कोई सम्बन्ध है, न ही एलोपैथी के चिकित्सकों से। इसलिए आईएमए द्वारा किसी भी विरोध का कोई औचित्य न है, न ही कोई जरूरत है। वास्तव में, आईएमए उक्त नोटीफिकेशन का यह कहकर विरोध कर रही है कि सरकार इस नोटीफिकेशन द्वारा मिक्सोपैथी को बढ़ावा दे रही है। जबकि, इस विषय में केन्द्र सरकार, आयुष मंत्रालय एवं सीसीआईएम बार-बार यह स्पष्टीकरण दे रही है सरकार और कौंसिल भारतीय चिकित्सा पद्धति की प्रामाणिकता बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय चिकित्सा पद्धति में किसी भी प्रकार के मिश्रण के खिलाफ हैं। इतना ही नहीं, अभी हाल में ही अधिसूचित तीनों चिकित्सा शिक्षा एवं प्रैक्टिस से सम्बन्धित अधिनियमों- नेशनल मेडिकल कमीशन २०१९, नेशनल इण्डियन मेडिसिन कमीशन एक्ट २०१९ और नेशनल होम्योपैथी कमीशन एक्ट २०२० में क्रासपैथी करने पर एक वर्ष की सजा एवं रुपये ५ लाख तक के अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं, चिकित्सा विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि सरकार मिक्सपैथी कर ही नहीं सकती, इसके बावजूद भी आईएमए आयुर्वेद का विरोध कर रही है जबकि दुनिया एक स्वर से मानती है कि चिकित्सा का जनक आयुर्वेद है।
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