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आकांक्षा राजभर साथ में मामा प्रमोद राजभर |
मेरा नाम प्रमोद राजभर है, मेरी भांजी आकांक्षा राजभर (उम्र १४), फिरोजपुर रामपुर, जीवान, गाजीपुर (उ.प्र.) की रहने वाली है। मेरी भांजी के ५-६ माह से बाल झड़ने लगे थे, पूरे शरीर में लाल चक्कते पड़ने लगे थे और फिर बुखार भी आने
लगा था, तो मैं अपनी
भांजी को मऊ में दिखाया, वहाँ पर ब्लड
की जाँचें हुयीं, जाँच देखकर
तुरन्त रिफर कर दिया, तो हम लोग
उसे बक्सर ले गये, वहाँ पर
रिपोर्ट देखी और फिर से कुछ जाँचें करवाई गयीं तो जाँच के बाद डॉक्टर साहब ने
टी.वी. की समस्या बताई और टी.वी. का इलाज चला, उस समय हीमोग्लोबिन ६ के आस-पास था, २१ दिनों तक इलाज चला, २१ दिनों के बाद जाँच करवाने पर हीमोग्लोबिन ३ के आस-पास आ
गया तो वहाँ से तुरन्त यह कहकर रिफर कर दिया कि अब मेरे बस में नहीं आप घर में
रखकर दवायें चलाइये, पैसे खर्च
करने से कोई मतलब नहीं है। यह सब सुनकर मैंने कई छोटे-छोटे नर्सिंग होम में
रिपोर्ट्स दिखार्इं और रोगी को देखने के बाद सब मना कर देते थे।
हम लोग बहुत परेशान थे, उस समय मेरी भांजी के पेट में बहुत सूजन आ गयी थी, पेशाब सही से नहीं हो पा रहा था, कुछ दिनों बाद ऐसी हालत हो गयी कि अब कभी ठीक नहीं हो
पायेंगी, वह बिल्कुल
ऑन बेड हो गयी थी, कुछ भी
खाती-पीती नही थी, चेहरे फफोले
पड़ रहे थे, सूजन के कारण
आँख भी नहीं खुल पा रही थी, उल्टियाँ
बहुत हो रही थी, पूरे शरीर
में दर्द रहता था।
तभी मुझे मेरी बुआ जो
अपना इलाज आयुष ग्राम (ट्रस्ट)
चिकित्सालय, चित्रकूट से करवाकर स्वस्थ हैं के
द्वारा आयुष ग्राम (ट्रस्ट)
चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में
बताया। मैं ९ सितम्बर २०२० को अपनी बहन के साथ भांजी को गोद में लेकर आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँचा। रजिस्ट्रेशन हुआ फिर ओपीडी-५ में डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी.
(काय चिकित्सा) के पास बुलाया गया। उन्होंने १५ दिनों के लिए भर्ती किया और
चिकित्सा शुरू की। पहले ही दिन से आराम मिलने लगा, पेट की सूजन में पूर्ण आराम मिल गया और सब्जियों का सूप
खाने में लेने लगी। तीसरे दिन से ही उठकर चलने लगी, अपना नित्यकर्म करने लगी, जो उसे गोद में उठाकर घूमाना पड़ता था वह सिर्फ २ दिन में अपने आप से
चलने लगी।
जाँच में
किडनी की समस्या भी बताई गयी, ९ सितम्बर २०२० की जाँच में- हीमोग्लोबिन ८.३, क्रिटनीन ३.७, यूरिया १३१.३, यूरिक एसिड १०.६, सीआरपी ३२.८ आया। फिर ७ दिनों बाद चिकित्सा व दवायें चलने
के बाद पुन: ६ सितम्बर २०२० की जाँच हुयी तो- क्रिटनीन १.४, यूरिया ३३.५, यूरिक एसिड ८.२, सीआरपी ७.६ आया।
आयुष ग्राम चिकित्सालय में जिस दिन आये उस दिन की रिपोर्ट आयुष ग्राम चिकित्सालय में चिकित्सा के बाद की रिपोर्ट
इस प्रकार मेरी भांजी २१
दिनों में पूर्ण स्वस्थ हो गयी और आगे १ माह की आयुर्वेदिक दवायें देकर घर भेज
दिया। जहाँ अंग्रेजी डॉक्टर कई जगहों पर रिफर कर देते थे, वहीं आज मेरी भांजी डेढ़ माह की दवाओं से पूर्ण स्वस्थ है।
मैं आयुष ग्राम (ट्रस्ट) के सभी डॉक्टरों व पूरे स्टाफ को
धन्यवाद देता हूँ और सभी से यही कहूँगा कि जितनी अच्छी चिकित्सा आयुर्वेद मे हैं, मेरी भांजी को टी.वी. न होने पर भी टी.वी. की हाई डोज चलाई
जिससे किडनी में समस्या आ गयी थी, खून खट गया था, चलने-फिरने को मौताज हो गयी, जहाँ हम भांजी को गोदी में उठाये घूमते थे वहीं आज मेरी
भांजी खूब चल-फिर रही, खा-पी रही है। मैं सभी से कहता हूँ कि अपने देश में अपने
देश की पैथी आयुर्वेद अपनाइये।
प्रमोद राजभर
फिरोजपुर रामपुर, जीवान, गाजीपुर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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