मैं कमलकान्त चौधरी (उम्र ५२), रक्षा मंत्रालय में अधिकारी हूँ। मुझे १० साल से शुगर की समस्या थी, मैं कानपुर में ही दिखाकर एलोपैथिक दवायें लेता रहा। फिर २
साल से ब्लड प्रेशर व हार्ट की समस्या होने लगी, मैंने फिर कानपुर के एक डॉक्टर को दिखाया, उन्होंने इन दोनों की भी साथ में दवायें जोड़ दी। फिर २ माह
से अचानक पैरों में सूजन आने लगी, आँखों से धुंधलापन दिखाई देने लगा, कमजोरी, श्वास फूलने लगी। तो मैंने कानपुर के शारदा नगर के फार्चून हॉस्पिटल में
दिखाया, वहाँ पर सारी
जाँचें हुयीं और जाँच आने के बाद मुझे पता चला कि मेरी दोनो किडनी काम नहीं कर रही
हैं, क्रिटनीन
ज्यादा होने के कारण तुरन्त डायलेसिस के लिए बोला गया, मेरी हफ्ते में १ डायलेसिस होने लगी, लेकिन जिस दिन डायलेसिस होती उस दिन तो ठीक रहता और फिर
डायलेसिस करवाने के कुछ दिन बाद और भी ज्यादा समस्या होने लगी।
मेरी डायलेसिस चल ही रही थी तभी मुझे मेरे ही कार्यालय के एक कर्मचारी के द्वारा आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट के बारे में पता चला। मैं २० सितम्बर २०२० को आयुष ग्राम (ट्रस्ट) चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँचा, रजिस्ट्रेशन करवाया और नम्बर पर पर मुझे ओपीडी-२ में डॉ. वाजपेयी जी के पास भेजा गया। जब मैं आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट में आया था तो उस समय अपने लड़के का सहारा लेकर ओपीडी में पहुँचा था, इतनी श्वास फूल रही थी कि एक कदम भी चलना मुश्किल था। कमजोरी, पेट साफ नहीं हो रहा था, बात करने में हॉफी आ रही थी, पूरे शरीर में सूजन थी। उन्होंने मुझे देखा और १५ दिनों तक भर्ती होने की सलाह दी।
आयुष ग्राम
ट्रस्ट में पहुँचने के दूसरे
दिन २१ सितम्बर २०२० को खून की जाँच करायी तो हीमोग्लोबिन ६.६, क्रिटनीन १२.१, यूरिया २७८.८, सोडियम ११३.४, फास्फोरस ८.६ आया। लेकिन यहाँ की चिकित्सा, पथ्याहार व पंचकर्म थैरेपी होने के बाद सारी समस्यायें ३
दिन में ही चली गयीं, श्वास फूलना
बन्द हो गया, सूजन सारी
चली गयी, कमजोरी कम हो
गयी। मैं ४ दिनों में ही अपना काम स्वयं करने लगा, न तो डायलेसिस की जरूरत पड़ी और न ही हार्ट की समस्या हुयी, मुझे काफी आराम मिल गया। २५ सितम्बर २०२० को रूटीन चेक-अप
हुआ तो बहुत ही खुश करने वाली रिपोर्ट आयी-
यूरिया २७८.८ से घटकर २०२.२ क्रिटनीन १२.१ से घटकर ११.१ आया।
आगे की
चिकित्सा जारी रही, एक सप्ताह बाद २ अक्टूबर २०२० को जब फिर जाँच करवायी गयी, जाँच में-
हीमोग्लोबिन ८.२ क्रिटनीन ८.७ यूरिया
१५२.४ सोडियम १३२.४ फास्फोरस ७.२ आया।
अब मैं तो
आराम से पूरे परिसर में टहलने लगा, यहाँ के सत्संग भवन में जाकर गीता, रामायण सुनने लगा, सुबह घूमने लगा। २ सप्ताह बाद मुझे डिस्चार्ज कर दिया गया
और पूरा बेड रेस्ट की सलाह दी गयी।
मैं बहुत खुश
हूँ कि मेरी डायलेसिस छूट गयी और यहाँ की चिकित्सा लेने के बाद से मुझे ३ दिन में
मेरी हालत में सुधार आने लगा और मेरी सभी अंग्रेजी दवायें भी बन्द हो गयीं, अब तो मैं बिना किसी सहारे के चलने लगा। मैं सर को धन्यवाद
देता हूँ कि चित्रवूâट के इस पवित्र स्थल में ऐसा आयुर्वेदिक हॉस्पिटल हमारे
जैसे लोगों के लिए एक वरदान है, यहाँ पर सभी को जीवनदान मिलता है और अंग्रेजी हॉस्पिटलों के
नरक से मुक्ति दिलाई जाती है।
कमलकान्त
चौधरी (ऑफीसर
रक्षामंत्रालय)
८०/१२, विजय नगर, कानपुर (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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