मेरा नाम एस॰ से निगम, मेरी पत्नी सुषमा निगम, ६४ वर्ष, हम लोग सी -१९९७ मिनी एल॰ आई॰ जी॰ राजाजीपुरम् लखनऊ से है।
इन्हें १५ वर्ष से बी॰पी॰
व सुगर की समस्या है, तभी से लखनऊ
से डॉक्टर इन्हें एलोपैथिक दवायें व इन्सुलिन देने लगे थे। धीरे-धीरे डोज बढ़ाते गये इस प्रकार ये डॉक्टर इन्हें
इन्सुलिन ४ बार देने लगे।
नवम्बर २०१८
में अचानक दोनों पैरों में सूजन आ गयी, तब मैंने लखनऊ के अजंता हॉस्पिटल में डॉक्टर दीपक दीवान जी को दिखाया, वहाँ पर सारी जाँचे हुई और ७ दिनों तक भर्ती रखा गया और
जाँच में पता चला कि हैपेटाइटिस- सी की समस्या है। दीवान जी से ४-५ माह इलाज चला, किन्तु मार्च २०२० में फिर से सूजन आ गई और श्वास लने लगी, रात भर उल्टा सीधा बोलने लगी, याददाश्त कम होती जा रही थी।
फिर मैं एस॰पी॰जी॰आई॰ लखनऊ ले गया, वहाँ पर ८ दिनों तक भर्ती रखा गया और कोविड-१९ के कारण घर
जाने के लिये बोल दिया गया।
फिर २० अगस्त को डॉक्टर देवाशीष शाह नेफ्रोलॉजिस्ट लखनऊ में दिखाया तो उन्होने
सारी जाँचे दुबारा करवाई तो यूरिया २००, क्रिटनीन -९ एमजी/डीएल आया तो तुरन्त डायलेसिस के लिये बोल
दिया गया और कई एलोपैथिक दवायें भी चलाई।
तभी मुझे मेरे ही मुहल्ले की एक महिला श्रीमती कृष्णा यादव (जो कई साल पहले
अपना इलाज आयुष ग्राम चित्रकूट
में करवाकर पूर्णत: स्वस्थ हुई हैं।) के द्वारा आपके यहाँ का पता चला।
मैं २१ अगस्त २०२० को अपनी पत्नी व बेटी सहित चित्रकूट पहुँचा। वहाँ पर मेरा
रजिस्टे्रशन करवाया गया, फिर नम्बर
आने पर ओ॰पी॰डी॰ नं॰ -२ में बुलाया गया। वहाँ डॉ॰ वाजपेयी सर ने सारी जाँचे देखीं और झोला भर चल रही
एलोपैथिक दवायें देखीं, उन्होने कहा कि इतनी सारी दवायें देकर ही इनकी किडनी खराब
की गई है।
सर ने पहले दिन ही काफी दवायें हटा दीं और कुछ चलाई, सर ने सलाह दी कि ३ सप्ताह यहाँ रखकर चिकित्सा करनी होगी, जिससे डायलेसिस व इन्सुलिन से छुटकारा मिल जायेगा। ३ सप्ताह
के लिये भर्ती करवा दिया।
जिस समय मैं लेकर आया था उस समय मेरी पत्नी बहुत घबराई थी कह रहीं थीं कि जब
मैं १५ सालों से एलोपैथिक डॉक्टर कुछ नहीं कर पाये तो यहाँ क्या होगा।
आज १० दिनों में ही काफी
अच्छी रिपोर्ट्स आई और सारी समस्याओं से छुटकारा मिल गया बी॰पी॰ नार्मल रहने लगा, इन्सुलिन छूट गयी, भूख भी अच्छी लगने लगी, उल्टियां बन्द हो गयी, नींद भी ठीक आने लगी और जो झोला भर की एलोपैथिक दवायें चल
रहीं थीं और दवाओं से ही पेट भरा रहता था, वह सारी बन्द करवा दी गयीं।
मैं सर को व
आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट के पूरे स्टॉफ को दिल से धन्यवाद देता हूँ और सभी से
यही कहना चाहूँगा कि जितना अच्छा इलाज आयुर्वेद में है उतना अच्छा एलोपैथ में कहीं
भी नहीं है।
एस॰के॰
निगम
सी-
१००७ राजाजीपुरम्
लखनऊ
(उ॰प्र॰)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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