मेरे बड़े भाई की १७ अगस्त
को एक्सीडेण्ट से मौत हो गयी, सूचना मिलते ही मेरी अम्मी, बिब्बन बेगम (उम्र ७१), १७ अगस्त
२०२० से सदमें में आ गयीं।
➡️ दूसरे दिन
मेरी अम्मी की पेशाब बिल्कुल रुक गयी
➡️ श्वास फूलने
लगी
➡️ सीने में जलन बहुत होती थी।
मैंने गाँव के डॉक्टर को बुलाकर कुछ अंग्रेजी दवा व इंजेक्शन करवाया, लेकिन दूसरे दिन उल्टियाँ होने लगीं तो उसने फिर दवा दी और कहा कि अगर इससे आराम नहीं मिलता है तो किसी दूसरे जगह अच्छे हॉस्पिटल में ले जाना पड़ेगा। तब मैं सिराथू के अमनदीप हॉस्पिटल ले गया, वहाँ पर सारी जाँचें हुयीं, जाँच आने के बाद सिराथू के डॉक्टर ने कहा कि तेरी अम्मी को किडनी की समस्या है, इनका यूरिया १२०.२ एमजी/डीएल और क्रिटनीन ७.१ एमजी/डीएल हो गया है।
इसके लिए इनकी तुरन्त डायलेसिस करवानी पड़ेगी और
आगे रिफर कर दिया, मैंने कई
डॉक्टरों से सलाह ली, सभी ने
डायलेसिस की ही सलाह दी। पर पता नहीं मन बार-बार क्यों आयुर्वेद की ओर जा रहा था।
इसलिए मैंने सोचा कि डायलेसिस तो करवानी ही है इसके पाहले मैं आयुर्वेद में क्यों
न प्रयास कर लूँ और मैं इसी विश्वास के साथ
उत्तर भारत के सबसे बड़े, सुविधा सम्पन्न आयुष ग्राम ट्रस्ट के चिकित्सालय चित्रकूट
में अम्मी को ले आया, यहाँ के बारे में मुझे २-३ साल पहले ही मालूम था।
➡️ मैं २३ अगस्त २०२० को अपनी अम्मी को लेकर आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँचा।
➡️ यहाँ पर डॉ. वाजपेयी जी ने देखा, सारी जाँचें देखीं और कुछ फिर से जाँचें करवायीं, जाँच आने के बाद उन्होंने भरोसा दिया और २१ दिनों तक भर्ती रखकर चिकित्सा करवाने की सलाह दी। यहाँ की जाँच में क्रिटनीन ७.१, यूरिया १४८.१, यूरिक एसिड १७.४, सीआरपी ६७.५ आया। मैंने भर्ती कर दिया, चिकित्सा शुरू हो गयी। रोज डॉक्टर आते, नर्सें आतीं, अम्मी का हाल-चाल पूँछतीं, नाड़ी देखी जाती, दवायें और उचित भोजन दिया जाता। न कोई इंजेक्शन, न चीरफाड़, न रोना, न चिल्लाना।
जिस समय मैं अपनी अम्मी को लेकर
आया था-
➡️ उस समय मेरी अम्मी को पेशाब नहीं हो रही
थी।
➡️ भूख
बिल्कुल नहीं लग रही थी।
➡️ श्वास फूल
रही थी।
➡️ मल पतला और
कई बार जाना पड़ता था।
➡️ उल्टियाँ
इतनी हो रही थीं कि कुछ भी नहीं टिक रहा था।
➡️ कमजोरी के कारण बिस्तर से उठ तक नहीं
पाती थीं। दो आदमी पकड़कर ले जाते थे।
आयुष ग्राम चित्रकूट के डॉक्टर
साहब ने पूरा भरोसा दिया। ३-४ दिन तक केवल गाय के दूध पर रखा
गया (यहाँ देशी गायों की अच्छी गौशाला है)।
मेरी अम्मी को चिकित्सा
से २-३ दिनों में ही आराम मिलने लगा जो उल्टी, कोई इंजेक्शन, दवा नहीं रोक पा रही थी वह यहाँ के दवाओं और पंचकर्म से रुक
गयी, इतनी तेज
दवायें हैं यहाँ। १४ दिनों की चिकित्सा से मेरी अम्मी को ८० % से ज्यादा आराम मिल गया और ०६.०९.२०२०
की जाँच में- क्रिटनीन २.०, यूरिया
४८.६,
यूरिक एसिड ८.७, सीआरपी
२१.० आ गया।
इतने अच्छे रिजल्ट देखकर
डॉक्टर साहब ने २१ दिन की जगह १४ दिन में ही डिस्चार्ज कर दिया। मुझे कितनी खुशी
मिली होगी यह आप समझ सकते हैं, हमारा पूरा परिवार पहले तो मेरे भाई के एक्सीडेंट के कारण सदमें में था कि
अम्मी को कुछ हो न जाये, आज मेरी
अम्मी को नया जीवन मिला। मैं तो यही कहता हूँ कि इस बात को सभी तक पहुँचायें।
जमाल सेक पुत्र
श्रीमती बिब्बन बेगम
बुलाकिपुर मरदान वरजी सिराथू, कौशाम्बी (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
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