मैं मधु मौर्या, मेरे
पति श्री विमल मौर्या (३० वर्ष), हम लोग
ग्राम- अन्नावा, (माघी), महेशगंज, जिला-
प्रतापगढ़ (उ.प्र.) के रहने वाले हैं। मेरे पति बाम्बे में प्राइवेट जॉब करते थे। ९
सितम्बर २०१९ को अचानक बायें पैर में झुनझुनाहट व कम्पन होने लगी, फिर
शाम तक कमर से लेकर दोनों पैर बिल्कुल काम करना बन्द कर दिया, पेशाब
व मल त्याग तक का पता न चलने लगा। पूरा शून्य पड़ गया। हम लोग घबरा गये और तुरन्त
वहीं बाम्बे में एक सरकारी हॉस्पिटल ले गये, वहाँ
पर कुछ अंग्रेजी दवायें दी गयीं और फिर एमआरआई करवाने को कहा गया, लेकिन
२ दिन की मुर्हरम की छुट्टी पड़ जाने के कारण जाँच न हो सकी, न
कोई दवा मिल सकी। तो मैंने सोचा कि यहाँ रुकने से अच्छा है कि
घर चले जायें, मैं अपने पति व बच्चों के साथ घर
वापस प्रतापगढ़ आ गयी।
मैं उ.प्र. में आकर लखनऊ मेडिकल कॉलेज में
दिखाया, एमआरआई करवाई गयी, जाँच
में डॉक्टर ने रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन बताया, १५
दिनों तक भर्ती भी रखा और ऑपरेशन के लिए कहा।
मैंने ऑपरेशन के लिए मना कर दिया क्योंकि डॉक्टरों का कहना था कि जरूरी नहीं कि
ऑपरेशन के बाद भी ये चलने लगेंगे। एक भी आराम न होने पर डॉक्टर ने दूसरी जगह के
लिए रिफर कर दिया और कहा कि ये अब ऐसे ही पूरी जिन्दगी रहेंगे
और यहाँ तक कहा कि फालतू पैसा न बर्बाद करिए, घर
में लेटे रहने दीजिए और दवायें चलाते रहिए।
मैं तो बिल्कुल निराश हो गयी थी ४ माह तक लखनऊ
की ही दवायें चलाई, बीच में मैं पीजीआई लखनऊ भी लेकर
गयी थी, कोई लाभ नहीं। बहुत परेशान थी कि इतनी
बड़ी जिन्दगी कैसे मैं अपने पति का काम कर पाऊँगी और पूरी जिन्दगी कैसे पति को बेड
में पड़े देख पाऊँगी।
फिर उसी समय
मुझे मेरे ही गाँव के एक व्यक्ति जो अपना इलाज आयुष
ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट में करवा कर पूर्णत: स्वस्थ हो
चुके है के द्वारा आयुष ग्राम ट्रस्ट चिकित्सालय, चित्रकूट
के बारे में पता चला। पर मेरे मन में यह भी विचार आता
था कि लखनऊ के इतने बड़े-बड़े अंग्रेजी हॉस्पिटलों से जब जवाब हो चुका है तो फिर
चित्रवूâट में क्या हो सकता है। लेकिन मैंने सोचा कि एक
बार दिखा लेते हैं। मैं अपने पति को लेकर आयुष
ग्राम ट्रस्ट चिकित्सालय, चित्रकूट पहुँची, रजिस्ट्रेशन
करवाया, फिर नम्बर आने पर डॉ. वाजपेयी जी
के पास बुलाया गया, उन्होंने सारी जाँचें देखीं और
समस्यायें पूछी और फिर कहा कि १५ दिनों तक रखकर कुछ पंचकर्म
थैरापी लेनी होगी, रोज
डॉक्टर आकर देखेंगे और ४-४ दिन की दवायें लिखी जायेंगी इनका
परिणाम देखा जाएगा। डॉ. वाजपेयी जी ने कहा कि आप बिल्कुल परेशान न
हों ये १-२ माह में दौड़ने लगेंगे। मैंने १५ दिनों के लिए यहाँ रख
दिया और चिकित्सा शुरू हो गयी। अच्छा स्टॉफ है, अच्छे
डॉक्टर, नर्सें, सब
बहुत अच्छे से समझाती हैं। जहाँ
अंग्रेजी अस्पतालों का खर्चा १-१ दिन का १०-१० हजार आता है, यहाँ
का १ दिन का खर्चा मात्र १५०० के आस-पास में हो जाता था।
मैं देखकर दंग रह गयी कि मेरे पति को ४ दिनों
में ही आराम लगने लगा, जो बिल्कुल ऑन बेड थे वह उठकर
बैठने लगे, धीरे-धीरे १५ दिनों में वह बिल्कुल
हल्के सहारे से चलने लगे और पेशाब व मल त्याग के लिए भी बताने लगे, पैरों
में ताकत मिलने लगी और तीन खण्ड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगे। मुझे
पता चला कि चित्रकूट में जो जिलाधिकारी हैं वे हमारे ही जिले के हैं उससे मुझे
अन्दर से और अच्छा लगता था। डॉ. साहब ने बताया कि आप परेशान न हों डी.एम. साहब
स्वयं आयुर्वेद प्रेमी हैं, वे
इसी बहाने हमारे मित्र हो गये हैं। मैं बहुत
खुश हूँ कि मेरे पति १ साल से जो बिल्कुल बेड पर थे और पूरी जिन्दगी ऐसे ही बोल
दिया गया था, वे सिर्फ २१ दिनों में वह तीसरे
फ्लोर तक हल्के सहारे से चढ़कर अपना पंचकर्म करवाने जाने लगे। मैं
डॉ. वाजपेयी जी व पूरे स्टॉफ को बहुत धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने मेरे पति को नया
जीवनदान दिया है।
श्रीमती मधु मौर्या पत्नी विमल
मौर्या
ग्राम- अन्नावा, (माघी), महेशगंज, जिला- प्रतापगढ़ (उ.प्र.)
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुसरण करते हैं ।
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट

प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ परमानन्द वाजपेयी एम.डी.(आयु.) आ.
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