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कनीजा बेगम साथ में उनके पुत्र शेर खां |
हम महुआझाला (बिजवार), छतरपुर (म.प्र.) से हैं। मेरी माँ कनीजा बेगम (५१ वर्ष) ५
साल से ब्लडप्रेशर व सुगर की अंग्रेजी दवायें खाती रहीं और अंग्रेजी इलाज चलता
रहा।
डेढ़ साल पहले एक दिन मेरी
माँ के बायें अंग ने अचानक काम करना बन्द कर दिया, पूरे शरीर में सूजन आ गयी, हम लोग तुरन्त माँ को ग्वालियर के जीवन श्री हॉस्पिटल ले
गये, वहाँ पर सारी
जाँचें कीं और ५ दिन इमरजेन्सी में रखा गया ऑक्सीजन लगा ही रहा, पर कुछ आराम नहीं मिला, जबकि २ डायलेसिस भी कर दी गयीं। हम परेशान हो गये कि रोज ३०
हजार के हिसाब से मेरा डेढ़ लाख रुपये खर्च हो गये और एक भी आराम नहीं मिला।
फिर मैं अपनी माँ को
ग्वालियर से भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल (सरकारी) में ले गये, वहाँ पर फिर से जाँचें हुयीं, जाँच आने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि मेरी माँ को
पैरालायसिस (लकवा) हुआ था और हार्ट, किडनी की भी समस्या है। वहाँ मेरी माँ को १ माह तक भर्ती
रखा और फिर से २ डायलेसिस हुयीं और दवायें चलीं।
१ माह बाद अंग्रेजी
दवायें लेकर घर आ गया, घर पर कुछ
दिन बाद मेरी माँ को पहले से भी ज्यादा समस्यायें होने लगीं, मैं फिर से अपनी माँ को भोपाल लेकर पहुँचा वहाँ पर कोरोना
के मरीज होने के कारण अच्छे से मेरी माँ को नहीं देखा गया। तभी बिजावर के डॉक्टर
रमेश गुप्ता जी ने मुझे दिव्य चिकित्सा भवन, पनगरा, बाँदा के बारे में जानकारी दी। मैं दूसरे दिन ही अपनी माँ को लेकर
दिव्य चिकित्सा भवन, पनगरा, बाँदा पहुँचा।
वहाँ पता चला कि अब दिव्य चिकित्सा भवन में केवल ओपीडी होती है
और आईपीडी यहाँ की शाखा आयुष ग्राम चित्रकूट में किया जा रहा है। मैं
वहाँ से सीधे आयुष ग्राम चित्रकूट पहुँचा। मेरा रजिस्ट्रेशन हुआ, मेरा २ बजे नम्बर आया मुझे ओपीडी-२ में (डॉक्टर वाजपेयी जी
के पास) बुलाया गया, उन्होंने अच्छी तरह से देखा, कुछ जाँचें करवायीं, जाँच आने के बाद उन्होंने कहा कि आप यहाँ पर ३ हफ्ते यहाँ
रखें मैं आपकी माँ को चला दूँगा। यह सुनकर हमें सपना जैसा लगा कि लकवा, हार्ट, किडनी रोग में फँसी मेरी माँ को चला देंगे।
जब मेरी माँ यहाँ आई थी, उस समय वह बिल्कुल ऑन बेड थीं, कुछ खा-पी नहीं पा रहीं थीं न ही बिल्कुल बोल पा रहीं थी, श्वास बहुत फूलती थी, जाने कितनी अंग्रेजी दवायें खाने पर भी कोई आराम नहीं था। उन्होंने मेरी माँ को तीन हफ्ते भर्ती रखा। चिकित्सा शुरू हुयी, पंचकर्म होने लगा। भोजन में पाचनशक्ति के
अनुसार केवल गोदुग्ध पीने को दिया जाता रहा। नर्सें, डॉक्टर समय-समय पर आते, देखते, दवा उपचार देते। भर्ती होने के ३ दिनों
में मेरी माँ को बिल्कुल आराम नहीं मिला तो मैंने मन में सोचा कि लगता है न ठीक
होंगी क्या?
पर आयुष ग्राम ट्रस्ट सस्ता अस्पताल है रोज खर्च केवल १५०० के
आस-पास सब कुल। सोचा कि इससे सस्ता
अस्पताल तो मिलना नहीं और जो यहाँ रोगी भर्ती थे उनके रिजल्ट देखकर आशा हो रही थी।
नर्सों ने भी मुझे आश्वासन दिया कि आप परेशान न हों।
मेरी माँ को चौथे दिन से
लगातार आराम मिलने लगा, आज ३ हफ्ते
हो गये हैं इस समय मेरी माँ को ७०% से अधिक लाभ है, जो पहले उठकर बैठाने से अपने आप गिर जाती है वह आज अपने से
चल लेती हैं, अपने नित्यकर्म कर लेती हैं, अब बोलने भी लगी हैं और भूख भी लगने लगी है, नींद भी अच्छी आ रही है और हमें क्या चाहिए।
आज १ माह की दवायें देकर
डिस्चार्ज किया जा रहा है, मैं बहुत खुश
हूँ कि जहाँ मैं बिल्कुल आशा छोड़ चुका था कि मेरी माँ कभी पहले जैसे हो भी पायेंगी, लेकिन आयुष ग्राम
की आयुष चिकित्सा व पूरे स्टॉफ व डॉक्टर वाजपेयी जी की मेहनत, गाइड लाइन ने वह कर दिखाया जिसकी उम्मीद नहीं थी। इस समय मेरी सभी अंग्रेजी दवायें भी बन्द हैं सिर्फ ब्लडप्रेशर
की कभी-कभी लेनी पड़ती है।
मेरा पूरा परिवार खुश है
कि जैसा डॉ. वाजपेयी जी ने कहा था
कि तीन हफ्तों में चलने लगेंगी तो सच में ऐसा ही हुआ।
शेर खाँ, महुआझाला (बिजवार),
जिला- छतरपुर (म.प्र.)
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