मैं नीलिमा तिवारी, उम्र ४० साल है, बड़ागाँव, तह.- त्योंथर, जिला- रीवा
(म.प्र.) से हूँ। आँगनबाड़ी विभाग में कार्यरत हूँ। डेढ़ साल पहले मेरे घुटनों में
हल्का-हल्का दर्द व /आवाज आने लगी, मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक दिन मैं घर का काम करते-करते अचानक गिर गयी और उसी
दिन से मेरा काम करना, उठना-बैठना
बिल्कुल बन्द हो गया और दर्द बहुत रहने लगा। फिर मुझे मेरे घर वाले इलाहाबाद के एक
हॉस्पिटल में लेकर गये, वहाँ पर डॉक्टरों
ने अंग्रेजी दवायें दीं और पूरी जिन्दगी दवाओं के सहारे चलने को बताया। मेरा इलाज
४ माह चला सिर्फ हल्का दर्द में आराम हो जाता था बस।
फिर मुझे दिल्ली एम्स में
ले गये, वहाँ पर
डॉक्टर ने देखा और ६-६ माह में इंजेक्शन घुटनों में लगाने की सलाह दी और पूर्ण बेड
रेस्ट बताया, मैं बहुत
परेशान हो गयी कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं मैं बिना काम के पूरी जिन्दगी
लेटे-लेटे कैसे रह सकूँगी। लेकिन मैंने इंजेक्शन लगवाने से मनाकर दिया और कुछ
दवायें लेकर घर आ गयी। कुछ दिन घर में दर्द की अंग्रेजी दवायें खाती रही। तभी मुझे
मेरे रिश्तेदार के द्वारा मेरे पति को पता चला कि हमारे यहाँ के एक रोगी श्री जगदीश प्रसाद गौतम जी जो सिंचाई विभाग से रिटायर हैं वे ऐसे ही रीढ़, घुटने, कमर के रोग से पीड़ित थे उन्हें आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट के चिकित्सालय से पूर्ण आराम मिला है।
मैं और मेरे पति और मैं
अपने भाई के साथ आयुष ग्राम ट्रस्ट
चिकित्सालय, चित्रकूट मई २०२० में
पहुँची, मेरा रजिस्ट्रेशन
करवाया गया फिर नम्बर आने पर ओपीडी-२ में
डॉ.वाजपेयी जी के पास बुलाया गया।
उन्होंने मेरे घुटने देखे, पूरी
रिपोर्टें देखी, समस्यायें
पूछीं, मैंने बताया
कि मैं बैठने के बाद उठकर खड़ी नहीं हो पाती, उन्होंने बैठाकर उठाकर भी देखा फिर कहा कि आप १-१ माह के अन्तर
से १०-१० दिन ३ बार आप यहाँ रुकें। आपको कुछ थैरेपी भी देनी होंगी और आर्थ्रो की
विशेष चिकित्सा होगी। हर माह १०³ आराम मिलेगा और यही आराम बढ़ते-बढ़ते ६-८ माह तक में आप ९९³ ठीक हो जायेंगी। कोई ऑपरेशन नहीं, कोई इंजेक्शन नहीं। मुझे यह सुनकर ऐसा लगा कि मानो वरदान
मिल गया। क्योंकि कोई भी डॉक्टर यह नहीं कह पा रहा था कि मैं चला दूँगा। हम तैयारी
कर ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट पहुँच गये। मेरी चिकित्सा शुरू हो गयी। १० दिन तक चिकित्सा
के बाद १ माह की मुझे औषधियाँ दे दी गयीं और मैं घर आ गयी।
घर आने पर मैंने बिल्कुल
आराम नहीं किया तुरन्त काम में जुट गयी तो फिर से समस्या हुयी, परन्तु मैंने हार नहीं मानी और दवायें समय-समय पर लेती रही, थोड़ा आराम किया, मुझे २ सप्ताह बाद फिर आराम लगने लगा। अगले माह मैं फिर
अपने भाई के साथ ३ जुलाई २०२० को आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट पहुँची तो अगला कोर्स
१० दिन का फिर दिया गया। इस बार १० दिनों में विशेष आराम मिला।
आज मैं डिस्चार्ज हो रही
हूँ। जो पहले जमीन में बिल्कुल पैर नहीं रख पाती थी आज मैं बैठकर काम कर लेती हूँ, कमर व घुटनों में असहनीय दर्द रहता था, कमर का दर्द तो बिल्कुल सही है, घुटनों में सीढ़ियाँ उतरने में हल्का दर्द रह गया है। पहले
मैं हमेशा सोचती रहती थी कि इससे अच्छा तो मरना है, यहाँ तक कि मैं आयुष ग्राम की स्टॉफ नर्सों से बस यही पूछा
करती थी कि क्या मैं कभी चल पाऊँगी, अपना काम कर पाऊँगी तो वे मुझे आश्वासन दिलाती थीं और जब
मैं यहाँ के डॉक्टर साहब से कहती सर तो मुझसे यही कहते कि आप चलना तो दूर आप
दौड़ेंगी आप की उम्र ही क्या है? मेरी आज सभी अंग्रेजी दवायें बंद हैं और न ही किसी इंजेक्शन की जरूरत पड़ी।
आज मैं अपना काम बिना
सहारे के कर सकती हूँ, मैंने पूरी
आशा ही छोड़ दी थी कि कभी मैं पहले जैसे घर का काम कर पाऊँगी कि नहीं। लेकिन अब मैं
बहुत ही संतुष्ट हूँ। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट बहुत ही अच्छा काम कर रहा है कि कम खर्चे में लोगों को
ऑपरेशन से बचा रहा है तथा गंभीर रोगों से मुक्त कर रहा है। यहाँ बहुत ही अच्छे
डॉक्टर, नर्स आदि
हैं।
मैं सभी को कहती हूँ कि
जब भी अंग्रेजी अस्पताल या डॉक्टर हड्डी के रोगों, रीढ़ और जोड़ों के रोगों में आपको ऑपरेशन बतायें या कठिन
बतायें तो आप ‘आयुष ग्राम’ चित्रकूट अवश्य
पहुँचें।
नीलिमा तिवारी,
बड़ागाँव
(त्योंथर), जिला- रीवा (म.प्र.)
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