डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
शब्द बहुत
शक्तिशाली होते हैं। अप्रिय शब्दों की ध्वनि मस्तिष्क में क्रोध, मोह, ईर्ष्या, भय, लोभ तथा काम पैदा करती है जिससे शरीर में
अस्वास्थ्यकर हार्मोन्स और रसायनों का स्राव होकर रक्त में मिलता है। इससे शरीर ऊपर से कितना भी गोरा क्यों न हो पर अन्दर रक्त में
विषाक्तता पैदा होने लगती है। ऐसे ही ‘दिव्य शब्द’ मन, मस्तिष्क और रक्त
में अमृत समान प्रभाव दिखाते हैं। इनके सही उच्चारण साधना से व्यक्ति को मानसिक और
शारीरिक लाभ निश्चित रूप से मिलता है।
‘राम’ या ॐ’ ऐसी ध्वनियाँ हैं जो साधक को विशेष चेतना में
ले जाती हैं उस चेतना को तेजस् भी कहते हैं। इनके सही ढंग से जप करने से हृदय, मन और मस्तिष्क
शान्त होता है। साधक के शरीर के अन्दर आश्चर्य जनक बदलाव आता है। उसमें बुद्धि, चिन्तन का स्तर
उदार और विराट हो जाता है और उनमें एक उत्तम विवेक उत्पन्न हो जाता है। वह ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, आवेग से मुक्त होने लगता है।
ऐसे परिणाम कितने
दिनों में मिलते हैं, इस प्रश्न पर
बताते हैं कि यदि कुसंस्कार, कुचिन्तन, ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध और मानसिक अस्थिरता के संस्कार नवीन हैं, तो इनसे छुटकारा
भी शीघ्र मिलता है किन्तु यदि ये संस्कार
पूर्व जन्मों के हैं और गहरे हैं तो उनसे मुक्ति की अवधि भी लम्बी होती है। अत: साधना में
धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। जब हम दूसरे के सुख, दूसरे की उन्नति, दूसरे के सुखकर
खान-पान और दूसरे के अच्छे कपड़े देखकर या सुनकर खुश होने लगें, दूसरे की
गल्तियों की अनदेखी कर उसमें भी अपनत्व ढूँढ़ने लगें तो समझ लो कि हम विकारों से
मुक्त होने लगें हैं। इसी का नाम ‘प्रज्ञा’ है।
गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की ऊर्जा को क्वांटम मशीन से भी मापा, जा चुका है।
दुनिया के ५०० वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में पाया कि इन मंत्रों में बहुत बड़ी ताकत
है। आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिक
भी मंत्र या नाम जप की शक्ति को स्वीकार करते रहे।
‘‘राम’’ नाम या ‘‘ॐ’’ के प्रभावों को अमेरिका के वैज्ञानिकों ने भी परीक्षण
और रिसर्च में बहुत श्रेष्ठ पाया।
अमेरिका के रिसर्च एण्ड इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंस के
प्रमुख प्रोफेसर जे. मॉर्गन और उनके सहयोगी वैज्ञानिकों ने लम्बे समय तक
रिसर्च किया कि आखिर ऐसा क्या है ‘राम’ मंत्र जप या ‘ॐ’ जप में, कि भारत के ऋषि, मुनि और पूर्वज इसे करते थे तथा आज भी करते हैं। भारत में
इन मंत्रों के जप की दीक्षा ली जाती थी।
तो लम्बे समय तक
रिसर्च करने के बाद इन वैज्ञानिकों ने पाया कि ‘‘राम’’ या ‘‘ॐ’’ ध्वनि के उच्चारण
से पैदा होने वाले कम्पन से शरीर की मृत कोशिकायें पुनर्जीवित हो जाती हैं और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। चेहरे और ओंठों
में लालिमा बढ़ जाती है। भूख, नींद, शौच के स्तर में सुधार होता है और औषधियों की आवश्यकता घटने
लगती है बीमारी से मुक्ति मिलने लगती है। मन के विकार हटने लगते हैं।
एक अन्य रिसर्च
में वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क, हृदय और किडनी की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित २५०० पुरुषों
और २०० महिलाओं का परीक्षण किया। इनमें उन लोगों को भी शामिल किया गया जो अपनी
बीमारी के अंतिम चरण में थे। इन मरीजों की
चिकित्सा तो जारी रखी पर प्रात: नित्य सूर्योदय के थोड़ी देर पहले से
थोड़ी देर बाद तक स्वच्छ वातावरण में योग्य शिक्षकों द्वारा विभिन्न ध्वनियों और
आवृत्तियों में ‘‘ राम’’ या ‘‘ॐ’’ का जप कराया गया। ४ साल तक ऐसा करने के बाद ऐसे
निष्कर्ष आये कि वैज्ञानिक आश्चर्य चकित रह गये। ७० % पुरुष और ८५ % महिलाओं में ‘राम’ या ‘ ॐ’ जप शुरू के करने के पहले बीमारियों की जो स्थिति और मन की
जो अव्यवस्था थी उसमें ९० % तक की कमी दर्ज की गयी।
वैज्ञानिकों ने
यह पाया कि जहाँ यह जप होता था वहाँ के वातावरण में व्यक्तियों ने सकारात्मकता की
अनुभूति की।
तो आप भी इसे नियमित रूप से पवित्र होकर प्रात: जप प्रारम्भ
कीजिये किन्तु इस नियम को तोड़िये नहीं। आहार शुद्ध रखिये। आप स्वयं सुपरिणाम
पायेगें।
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुशरण करते हैं ।
डॉ. अर्चना वाजपेयी
डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी. (मेडिसिन आयु.) में हैं आप स्त्री – पुरुषों के जीर्ण, जटिल रोगों की चिकित्सा में विशेष कुशल हैं । मृदुभाषी, रोगी के प्रति करुणा रखकर चिकित्सा करना उनकी विशिष्ट शैली है । लेखन, अध्ययन, व्याख्यान, उनकी हॉबी है । आयुर्वेद संहिता ग्रंथों में उनकी विशेष रूचि है ।
सरकार आयुष को बढ़ाये मानव का जीवन बचाये!!
सरकार को फिर से भारत में अंग्रेजी अस्पताल और अंग्रेजी मेडिकल कॉलेजों की जगह अच्छे और समृद्ध आयुष संस्थान खोलने चाहिए तथा उनसे पूरी क्षमता से कार्य लेना चाहिए। इससे भारत का मानव हार्ट के ऑपरेशन, छेड़छाड़ स्टेंट और डायलिसिस जैसी स्थितियों से बचकर और हार्ट को स्वस्थ रख सकेगा। क्योंकि हार्ट के रोगी पहले भी होते थे आज भी होते हैं और आगे भी होते रहेंगे। जिनका सर्वोच्च समाधान आयुष में है। आयुष ग्राम चित्रकूट एक ऐसा आयुष संस्थान है जहाँ ऐसे-ऐसे रस-रसायनों/ औषध कल्पों का निर्माण और संयोजन करके रखा गया है जो जीवनदान देते हैं। पंचकर्म की व्यवस्था एम.डी. डॉक्टरों के निर्देशन में हो रही है, पेया, विलेपी, यवागू आदि आहार कल्पों की भी पूरी उपलब्धता है इसलिये यहाँ के ऐसे चमत्कारिक परिणाम आते हैं।
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आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट
मोब.न. 9919527646, 8601209999
website: www.ayushgram.org
डॉ मदन गोपाल वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य, पी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी., साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद), एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत), एल-एल.बी. (B.U.)
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव और आयुष ग्राम मासिक
पूर्व उपा. भारतीय चिकित्सा परिषद
उत्तर प्रदेश शासन
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा) आयुर्वेद
डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
डॉ आर.एस. शुक्ल आयुर्वेदाचार्य
1 Comments
धैर्य====
ReplyDeleteकभी धैर्य नहीं छोड़ा उसने
जन-- जन को जोड़ा उसने
उड़ता रहा वह आसमान में
इक तारा नहीं तोड़ा उसने
गैरों को समझाने की खातिर
सर अपना खुद फोड़ा उसने
जीवन के हर इक अश्वमेध में
हर बार छोड़ा घोड़ा उसने
निष्फलता में विफल कलश
अपने सर पर फोड़ा उसने
जब देश-धरम की बात हुई
डाला ना कभी रोड़ा उसने
परिंदा क्या-क्या बखान करे
किया बहुत कहा थोड़ा उसने