इस समय देश
में हृदय रोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है, उसका कारण है गलत जीवनशैली। कई शताब्दियों से हम मौसम के अनुसार भोजन करते थे और
उपयुक्त जीवनशैली का पालन करते थे। १९६० के दशक में सरकार ने पैदावार को दुगना
करने के इरादे से लोगों को लुभाया। हरित क्रांति लाने के नाम पर कीटनाशकों और
रसायनों के इस्तेमाल की शुरुआत की गयी थी। सभी प्रचार माध्यमों एवं वैज्ञानिकों
संस्थानों ने इसके लिये प्रोत्साहन का माहौल बनाया। दस साल पहले जो कुछ हमारे भोजन
में था, वह अब नहीं
है। जैसे-जैसे साल गुजरते गये, जमीन में रसायनों और यूरिया की मात्रा बढ़ती गयी। सन् २००० में भारत ने
महसूस किया हम लाखों टन जहर जमीन में जाने दे रहे हैं। इससे कैंसर, हार्ट, मधुमेह, गुर्दे की खराबी और शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता की कमी के
अलावा और कुछ नहीं बढ़ा। हरित
क्रांति असफल हुयी, बीमारियों के
निराकरण में अंग्रेजी चिकित्सा असफल हुयी। तब तो फिर रोगग्रस्त मानव आयुष
चिकित्सा की ओर लौटने लगा। बड़े-बड़े एलोपैथिक डॉक्टर भी अंग्रेजी चिकित्सा
से निराश होकर आयुष चिकित्सा की ओर आने लगे।
अंग्रेजी इलाज में स्टेंट
डालना/बाईपास सर्जरी करना होता है पर समस्या यह है कि एंजियोप्लास्टी या बाईपास
सर्जरी के भी समाधान नहीं मिल पाता, शरीर बेजान सा रहता है। स्थायी समाधान मिलता है, आयुष चिकित्सा से आयुष ग्राम चिकित्सालय, चित्रकूट में।
हृदय रोग के कारण-
धूम्रपान, नशा, रोटी, सब्जी, ब्राउन चावल के स्थान पर पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन, ब्रेड, पकौड़ा खाना, अधिक चाय, कॉफी, पेनकिलर का सेवन, मानसिक तनाव, आलसी/गतिहीन जीवनशैली, लगातार तेज और सीधी हवा तथा धूप के सम्पर्क में रहना, पूर्व के खाये भोजन के बिना पचे पुन: भोजन करना, इससे शरीर के वात, पित्त, कफ दोष असंतुलित/विकृत होते हैं फिर ‘रसधातु’ की विकृति होकर हृदय रोग पैदा होता है।
हृदय रोग के लक्षण-
चलने में साँस
फूलना, हॉफी आना, खाँसी आना, बदन या पैरों में सूजन, सीने, बाँह व कन्धे में दर्द, कमजोरी, थकावट, पसीना, बेहोशी आना, धड़कन बढ़ना, घबराहट होना, चक्कर आना, जबड़ों में जकड़न।
सही चिकित्सा-
रोग की चिकित्सा का मतलब
है रोग को जड़ से खत्म करना, दवाइयों से
छुटकारा दिलाना, मानसिक और
शारीरिक प्रसन्नता, उत्साह, उम्र के अनुसार सामर्थ्य देना तथा भूख, नींद को ठीक करना। यह सब मिलता है आयुष चिकित्सा से। स्टेंट
(एंजियोप्लास्टी) या बाईपास सर्जरी से बहुत थोड़े दिन भले ही कुछ ठीक लगे पर
धीरे-धीरे शरीर बेजान होता जाता है और सामर्थ्य घटता जाता है।
⇒ ‘भारत का चिकित्सा विज्ञान’ आयुर्वेद रोग के मूल कारण तक पहुँचकर चिकित्सा करने का निर्देश देता है। स्टेंट या
बाईपास सर्जरी जैसी कुछ दिन तक ही आराम देने वाली क्रियाओं की बात नहीं करता। तभी
भारत के मानव का हृदय १००-१०० साल तक स्वस्थ रहता था। हृदय रोग से अकाल
मौतें होती नहीं थीं।
⇒ सबसे पहले रोग के मूल कारण को खोजकर रोगी को उससे दूर करना होता है ।
⇒ रोगी को पूरी तरह मानसिक और शारीरिक विश्राम तब तक देना चाहिये जब तक कि उसमें बल और क्षमता न आ जाये।
⇒ सबसे पहले रोग के मूल कारण को खोजकर रोगी को उससे दूर करना होता है ।
⇒ रोगी को पूरी तरह मानसिक और शारीरिक विश्राम तब तक देना चाहिये जब तक कि उसमें बल और क्षमता न आ जाये।
⇒ रोगी का भोजन और उसकी मात्रा ऐसी हो जिसे वह आराम से पचा सके, पेट में भारीपन न हो।
⇒ अंग्रेजी चिकित्सा में सभी हृदय रोगियों को एक ही तरह की
गोलियाँ/दवायें और एक ही प्रकार उपचार/उपाय दिये जाते हैं। जबकि हर रोगी की
प्रकृति, खान-पान, रहन-सहन अलग-अलग होते हैं तो सभी में एक ही प्रकार के उपाय कैसे
कारगर हो सकते हैं। यही कारण है कि हार्ट रोगी का अंग्रेजी उपचार सफल नहीं हो
पाता।
⇒ हृदय को बल देने वाली औषधि, खान-पान, रहन-सहन और शोधन चिकित्सा का प्रयोग।
⇒ हृदय को बल देने वाली औषधि, खान-पान, रहन-सहन और शोधन चिकित्सा का प्रयोग।
भारत के
चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) में यह
ध्यान दिया जाता है कि किस हृदय रोगी को कौन से दोष से हृदय रोग है उसी के अनुसार
चिकित्सा की जाती है जिसका स्थायी, त्वरित और प्रभावशाली परिणाम आता है।
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी
डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी एक प्रख्यात आयुर्वेद विशेषज्ञ हैं। शास्त्रीय चिकित्सा के पीयूष पाणि चिकित्सक और हार्ट, किडनी, शिरोरोग (त्रिमर्म), रीढ़ की चिकित्सा के महान आचार्य जो विगड़े से विगड़े हार्ट, रीढ़, किडनी, शिरोरोगों को शास्त्रीय चिकित्सा से सम्हाल लेते हैं । आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूटधाम, दिव्य चिकित्सा भवन, आयुष ग्राम मासिक, चिकित्सा पल्लव और अनेकों संस्थाओं के संस्थापक ।
इनके शिष्यों, छात्र, छात्राओं की लम्बी सूची है । आपकी चिकित्सा व्यवस्था को देश के आयुष चिकित्सक अनुशरण करते हैं ।
उपकारप्रधानः स्यादपकारपरेअप्यरौ ।।
शत्रु एवं अनभला करने में तत्पर व्यक्ति का भी उपकार करना चाहिए ।।
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डॉ. अर्चना वाजपेयी
डॉ. अर्चना वाजपेयी एम.डी. (मेडिसिन आयु.) में हैं आप स्त्री – पुरुषों के जीर्ण, जटिल रोगों की चिकित्सा में विशेष कुशल हैं । मृदुभाषी, रोगी के प्रति करुणा रखकर चिकित्सा करना उनकी विशिष्ट शैली है । लेखन, अध्ययन, व्याख्यान, उनकी हॉबी है । आयुर्वेद संहिता ग्रंथों में उनकी विशेष रूचि है ।
सरकार आयुष को बढ़ाये मानव का जीवन बचाये!!
सरकार
को फिर से भारत में अंग्रेजी अस्पताल और अंग्रेजी मेडिकल कॉलेजों की जगह अच्छे
और समृद्ध आयुष संस्थान खोलने चाहिए तथा उनसे पूरी क्षमता से कार्य लेना चाहिए।
इससे भारत का मानव हार्ट के ऑपरेशन, छेड़छाड़ स्टेंट और डायलिसिस जैसी स्थितियों से बचकर और
हार्ट को स्वस्थ रख सकेगा। क्योंकि हार्ट के रोगी पहले भी होते थे आज भी होते
हैं और आगे भी होते रहेंगे। जिनका सर्वोच्च समाधान आयुष में है। आयुष ग्राम
चित्रकूट एक ऐसा आयुष संस्थान है जहाँ ऐसे-ऐसे रस-रसायनों/ औषध कल्पों का
निर्माण और संयोजन करके रखा गया है जो जीवनदान देते हैं। पंचकर्म की व्यवस्था
एम.डी. डॉक्टरों के निर्देशन में हो रही है, पेया, विलेपी, यवागू आदि आहार कल्पों की भी पूरी उपलब्धता है इसलिये
यहाँ के ऐसे चमत्कारिक परिणाम आते हैं।
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आयुष ग्राम ट्रस्ट चित्रकूट द्वारा संचालित
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट
आयुष ग्राम चिकित्सालय:, चित्रकूट
मोब.न. 9919527646, 8601209999
website: www.ayushgram.org
डॉ मदन गोपाल वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य, पी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी., साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि (आयुर्वेद), एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत )
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा) आयुर्वेद
डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
डॉ आर.एस. शुक्ल आयुर्वेदाचार्य
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