मैं एक कम्पनी में बेल्डिंग
का कार्य करता था। मुझे सन् २००२ से थायराइड और ब्लडप्रेशर की समस्या हुयी। यहाँ
से अंग्रेजी अस्पताल और दवा के जाल में फँसा और फिर फँसता गया, अब अपने देश की आयुष चिकित्सा ने जीवनदान दिया।
हुआ यूँ कि २००२ में ब्रेन हैमरेज होने पर बीपी की अंग्रेजी दवा
लेता रहा, २००५ से सीने से
बायें हाथ तक भारीपन रहने लगा, कुछ माह बाद साइकिल चलाने में तकलीफ होने लगी, १८ कि.मी. बलिया
जाने तक में २-३ बार रुकना पड़ता था। बीएचयू में जब टीएमटी हुआ तो पॉजिटिव आया, उन्होंने
एंजियोग्राफी की सलाह दी,
एंजियोग्राफी में
८० -८० % तक ४ ब्लॉकेज निकले। बीएचयू
के हार्ट के डॉ. विकास अग्रवाल ने ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी और आगे रिफर कर
दिया, हम पीजीआई लखनऊ चले गये, वहाँ पर डॉ. सत्येन्द्र तिवारी ने सब देखकर एंजियोप्लास्टी
कराने की सलाह दी। आर्थिक स्थिति कमजोर थी इसलिए विधायक उमाशंकर सिंह जी से
मदद ली और एंजियोप्लास्टी (स्टेटिंग) हुयी।
२०१६ में एंजियोप्लास्टी (स्टेंटिंग) हुयी, इसके बावजूद भी साँस फूलना, थकावट, घबराहट, ५०० मीटर चलने पर
भी ३ बार बैठना आदि दिक्कतें पहले जैसे ही थीं। मैंने डॉक्टरों से पूछा तो बताया
कि बड़े-बड़े २ नसों का ब्लॉकेज निकल गया है, छोटे-छोटे नसों में ब्लॉकेज हैं इसलिए दिक्कत बनी रहेगी।
मैं परेशान हो गया कि स्टेंट भी डल गया और दशा वही।
२०१८ में फिर चेक-अप कराने गया तो डॉ. सत्येन्द्र तिवारी ने दुबारा
स्टेंट डालने को कहा, मैंने दुबारा
स्टेंट डलवा लिया, अब तो समस्यायें
और बढ़ गयीं, पैदल चलना, साइकिल चलाना ६
माह के अन्दर बन्द हो गया। जून २०१९ में पोस्टमैन के हाथ में आयुष ग्राम चित्रकूट का ‘आयुष ग्राम’ मासिक अखबार देखा उसमें हैडिंग थी कि ‘हार्ट ब्लॉकेज से
डरे नहीं।’ मैं तुरन्त आयुष ग्राम (ट्रस्ट) की आयुष कार्डियोलॉजी, चित्रकूट का फोन नम्बर लिया और ८ सितम्बर २०१९ में इलाज
कराने के लिए चित्रकूट आ गया। पहली बार जब मुझे हृदय और किडनी चिकित्सा विभाग के डॉ. मदनगोपाल वाजपेयी ने
देखा तो उन्होंने अपनी पद्धति से सारे चेक-अप किये, मैंने शुरू से लेकर दो-दो बार स्टेंट डालने की
कहानी सुनाई, मैंने उन्हें
बताया कि पहले मैं १८ कि.मी. साइकिल चला लेता था, १४-१४ घण्टे ड्यूटी करता था लेकिन २-२ बार
स्टेंट के बाद तो मेरी धीरे-धीरे शरीर की क्षमता समाप्त हो गयी, पैदल तक चलने की
स्थिति नहीं बची। तब डॉक्टर साहब बोले कि ८ माह तक चिकित्सा करो आप फिर से पहले
जैसे मेहनत करना शुरू कर देंगे। पहले तो मुझे ज्यादा यकीन नहीं हो रहा था लेकिन
मात्र दो महीने के इलाज से बहुत लाभ महसूस हो रहा है।
पहले शौच के लिए ५०० मीटर चलने पर २ बार बीच-बीच में बैठना पड़ता था
लेकिन अब ऐसी जरूरत महसूस नहीं होती, आराम से एक बार में चला जाता हूँ।
पहले गाय को पानी देने, भूसा खिलाने में थोड़ी-थोड़ी देर में २-२ मिनट के लिए बैठना
पड़ता था और भारीपन व दर्द हो जाता था लेकिन अब एक बार में ही गाय को पानी पिला
देता हूँ, भूसा डाल देता
हूँ।
दो माह की चिकित्सा से मुझे इतना फायदा हो गया कि अब एक किलोमीटर
तक सुबह-सुबह घूमने चला जाता हूँ, कोई परेशानी नहीं होती। मैं डॉ. वाजपेयी जी का आभारी हूँ जिन्होंने प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट
में हम जैसे दु:खी हार्ट रोगियों के लिए आयुष ग्राम (ट्रस्ट), आयुष
कार्डियोलॉजी की स्थापना की। मैं तो सभी को सलाह देता हूँ कि जब भी
डॉक्टर आपको स्टेंट या बाईपास सर्जरी की सलाह दें तो आप आयुष ग्राम ट्रस्ट की आयुष कार्डियोलॉजी, चित्रकूट में पहुँचें। आप भी मेरी तरह स्वस्थ होंगे।
मुझे दु:ख है कि अंग्रेजी इलाज में मेरा पैसा भी चला गया और स्टेंट डलवाने में
शरीर भी बर्बाद हो गया।
- राम सिंह, एकोना राजपुर,
(हल्दी), जिला- बलिया
(उ.प्र.)
मोबा.नं.- ९७९४५८७४५६

डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
मोब.न. 9919527646, 8601209999
website: www.ayushgram.org
डॉ मदन गोपाल वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य, पी.जी. इन पंचकर्मा (V.M.U.) एन.डी., साहित्यायुर्वेदरत्न,विद्यावारिधि, एम.ए.(दर्शन),एम.ए.(संस्कृत )
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव
प्रधान सम्पादक चिकित्सा पल्लव
डॉ अर्चना वाजपेयी एम.डी.(कायचिकित्सा) आयुर्वेद
डॉ परमानन्द वाजपेयी आयुर्वेदाचार्य
डॉ आर.एस. शुक्ल आयुर्वेदाचार्य
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